महराजगंज, निज संवाददाता।
drought hit पिछले साल बारिश के सीजन में लगातार इतनी बारिश हुई कि किसानों को बोरिंग से एक भी बूंद पानी नहीं चलाने की जरूरत पड़ी। बेहन तक पानी में डूब गए थे। लेकिन इस बार मौसम ने ऐसा दगा दिया कि किसानों को खून के आंसू आ रहे हैं। शुरू से ही किसान बारिश की बूंद-बूंद के लिए तरस गए हैं। आलम यह है कि किसानों की गाढ़ी कमाई खेत में ही सूख रही है। कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक अब तक करीब 20 फीसदी तक धान की फसल प्रभावित हो चुकी है। जो बची हैं उसकी बढ़वार एकदम रुक गई है। पत्तियां सूख रही हैं पीली पड़ रही हैं। जमीन में दरारें पड़ गई हैं। एक सप्ताह में अच्छी बारिश नहीं हुई तो 60 फीसदी फसल बरबाद हो सकती है। किसान अब जिले को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं drought hit।
जिले में इस वर्ष एक लाख 65 हजार हेक्टेयर में धान की फसल बोई गई है। सामान्य बारिश होने पर इनसे करीब पांच लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन होना चाहिए। लेकिन बारिश नहीं होने से उत्पादन में भारी गिरावट होने का अनुमान है। इस बार शुरूआत से ही अच्छी बारिश नहीं हुई। किसानों ने बारिश की उम्मीद में किसी तरह से बोरिंग के पानी से धान की रोपाई तो कर दी। लेकिन बारिश ने ऐसा दगा दिया कि अब उनकी फसल खेत में ही सूख रही है। करीब 30 फीसदी ही बारिश हुई है drought hit।
अब शासन-प्रशासन किसानों के फसल के नुकसान का आंकलन करने में जुटा है। शासन से बारिश नहीं होने पर नुकसान की रिपोर्ट मांगी गई है। कृषि विभाग ने करीब 20 फीसदी फसल नुकसान हो जाने का अनुमान लगाया है। इधर किसान बार-बार बादलों की ओर देखकर हताश हो रहे हैं।
अच्छी बारिश नहीं हुई तो बरबादी तय
शासन-प्रशासन के निर्देश पर कृषि विभाग के अधिकारी गांवों व खेतों में जाकर धान की फसल में सूखे का आंकलन कर रह हैं। जिला कृषि अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने फरेंदा, पनियरा, नौतनवा, सदर क्षेत्र में भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि भ्रमण के दौरान अब तक 15 से 20 फीसदी फसल बारिश के पानी के अभाव में प्रभावित हो चुकी है। फसलों की बढ़वार रुक गई है। पत्तियां सूख रही हैं पीली पड़ रही हैं। खेतों में दरारें पड़ गई हैं। एक सप्ताह में अच्छी बारिश नहीं हुई तो 25 फीसदी फसल और प्रभावित हो सकती है drought hit।
46 हजार किसानों ने ही कराया फसल बीमा
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों के नुकसान पर उसकी भरपाई बीमा कंपनी करती है। बाढ़, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदा पर बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति देती है। लेकिन जिले में केवल 46 हजार किसानों ने ही बीमा कराया है। इसमें भी अधिकांश किसान क्रेडिट कार्ड वाले हैं। सामान्य बीमा वाले कम हैं drought hit।
बोरिंग का पानी भी नहीं कर पा रहा काम
धान बारिश के पानी पर आधारित फसल है। लेकिन इस बार बारिश नहीं होने से किसान लगातार बोरिंग की पानी से सिंचाई कर रहे हैं। लेकिन बारिश नहीं होने से कल्ले नहीं बढ़ रहे हैं। सिंचाई करने के चार दिन में ही खेत सूख जा रहा है। किसानों का कहना है कि पंपिंगसेट के भरोसे धान की फसल को नहीं काटा जा सकता है। बोरिंग से कितना ही पानी क्यों न चला दिया जाए, जब तक बारिश नहीं होगी फसल की बढ़वार नहीं होगी। कल्ले नहीं निकलेंगे, बालियां भी ठीक से नहीं फूटेंगी और रोगग्रस्त भी होंगी। दाने काले पड़ जाएंगे drought hit।
तहसीलवार हुई बारिश एमएम में
तहसील सदर- 234
फरेंदा- 200
निचलौल- 210
नौतनवा- 190
बारिश की स्थिति
जानकारों के मुताबिक 15 अगस्त तक 40 फीसदी से कम बारिश होने पर सूखाग्रस्त माना जाता है। वर्षा मापी यंत्रों के मुताबिक करीब 30 फीसदी ही बारिश हुई है। सूखाग्रस्त को लेकर शासन प्रशासन की ओर से रिपोर्ट मांगी गई है। कृषि विभाग और राजस्व विभाग अपनी अपनी रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हैं drought hit।
उत्पादन का आंकलन
कृषि विभाग ने अब तक जो रिपार्ट तैयार की है उसमें जनपद में करीब 20 फीसदी तक फसल प्रभावित हो चुकी है। यह भी कहा गया है कि यदि एक सप्ताह के अंदर अच्छी बारिश नहीं हुई तो जनपद में 40 से 45 प्रतिशत में फसलों को नुकसान हो सकता है। फसल के 40 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान पर सूखाग्रस्त माना जाता है। फिलहाल अभी राजस्व विभाग की रिपोर्ट पर सबकी निगाहें हैं। राजस्व विभाग जितना प्रतिशत सूखा बताएगा उसी के अनुसार सूखाग्रस्त माना जाएगा drought hit।
फसल की गुणवत्ता प्रभावित
बारिश नहीं होने से फसलों की बढ़वार रुक गई है। पत्तियां सूख रही हैं और पीली पड़ रही हैं। खेतों में दरारे हैं। यदि किसी तरह से किसानों ने पंपिंग सेट से सिंचाई का कार्य पूरा भी कर लिया तब भी फसल का उत्पादन पूरा नहीं मिलेगा। बालियां कम फूटेंगी, जो दाने पड़ेंगे वह कमजोर व काले होंगे। उत्पादन करीब 30 से 90 फीसदी तक कम होगा drought hit।
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