GYANVAPI ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्‍नर की कार्यवाही के दौरान वजूखाने में मिले शिवलिंग के पूजा-भोग, आरती को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल याचिका पर आज गुरुवार को सुनवाई हो रही है। पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण बीते पांच सितंबर को पिछली तिथि पर इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी।

स्‍वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपनी याचिका में कहा है कि कानूनन देवता की परिस्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है, जिसे अन्न-जल आदि नहीं देना दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। इस मामले में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी, वाराणसी के जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर को उनकी ओर से प्रतिवादी बनाया है।

वादी पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव का मंदिर तोड़कर बनवाया गया था। इधर, इंतजामिया कमेटी 1991 एक्ट के हवाले के साथ और भी तर्क प्रस्तुत करने वाली है। इसमें दोनों ही ओर से अपना-अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। 

कौन हैं स्‍वामी अविमुक्‍तेश्‍वरानंंद

GYANVAPI शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बने हैं। प्रतापगढ़ जनपद के मूल निवासी अविमुक्‍तेश्‍वरानंद ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ का प्रमुख एक दिन पूर्व घोषित किए गए है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का जन्म प्रतापगढ़ के पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में 15 अगस्त 1969 को हुआ। इनका मूल नाम उमाशंकर है। इनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राइमरी पाठशाला में हुई।

बदायूं की जामा मस्जिद का मामला ज्ञानवापी की तरह चर्चित होता जा रहा है।

GYANVAPI बदायूं की जामा मस्जिद का मामला ज्ञानवापी की तरह चर्चित होता जा रहा है। मामले की सुनवाई आज होगी। इससे पहले दोनों पक्ष अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। जहां वादी व अधिवक्ता अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं, तो वहीं इंतजामिया कमेटी मुकदमा निरस्त कराने की कोशिश में है।

दोनों पक्ष आज सुबह करीब साढ़े दस बजे न्यायालय पहुंचेंगे और फिर न्यायाधीश के सामने अपना-अपना पक्ष रखेंगे। जहां अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से तमाम सुबूत दाखिल किए जा चुके हैं, तो वहीं इंतजामिया कमेटी ने भी अपना जवाब तैयार कर लिया है। सुनवाई को लेकर पुलिस और प्रशासन भी अलर्ट मोड पर हैं। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। 

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दो सितंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में नीलकंठ महादेव की ओर से मुकदमा दायर कराया गया था। न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए इंतजामिया कमेटी समेत छह प्रतिवादियों को नोटिस भेजे थे। अगली सुनवाई के लिए पंद्रह सितंबर तारीख लगाई गई थी। 

इंतजामिया कमेटी ने इसका नोटिस मिलने के बाद जवाब देने की तैयारियां कीं। बताया जा रहा है कि वादी पक्ष के पास सुबूत के तौर पर तमाम सरकारी किताबों में लिखा इतिहास, गजेटियर, नक्शा और इंतखाब आदि हैं।

GYANVAPI वादी पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव का मंदिर तोड़कर बनवाया गया था। इधर, इंतजामिया कमेटी 1991 एक्ट के हवाले के साथ और भी तर्क प्रस्तुत करने वाली है। इसमें दोनों ही ओर से अपना-अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।

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